सूर्य उपासना
सूरज तपता नित रहे,धरती थामें हाथ ।
बादल जल बरसा रहा,पवन देव हैं साथ ।।
कण-कण में जीवन बसा, मानव लेना जान।
चार देव प्रत्यक्ष मिल, देते हमको ज्ञान ।।
धरा वायु जल नभ मिले,बने ऊर्जा दिनमान ।
इनसे ही जीवन चले,रखना ये संज्ञान ।।
बीज अंकुरित हो गए,चीर धरा का गात ।
धीरे-धीरे वृक्ष बन,लहराता दिन-रात ।।
प्रत्यक्ष देवता सूर्य तुम बिछा बारह बिसात !
तेज, प्रकाश भरते सदा दे रश्मि सौगात !!
अपर्णा " गौरी" शर्मा
Punam verma
22-May-2023 09:07 AM
Very nice
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Abhinav ji
22-May-2023 08:31 AM
Very nice 👍
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Milind salve
22-May-2023 08:09 AM
बहुत खूब
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