Aparna Sharma

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लेखनी प्रतियोगिता -21-May-2023

स्वैच्छिक कविता 


सूर्य उपासना 


सूरज तपता नित रहे,धरती थामें हाथ ।
बादल जल बरसा रहा,पवन देव हैं साथ ।।

कण-कण में जीवन बसा, मानव लेना जान।
चार देव प्रत्यक्ष मिल, देते हमको  ज्ञान ।।

धरा वायु जल नभ मिले,बने ऊर्जा दिनमान ।
इनसे ही जीवन चले,रखना ये संज्ञान ।।

बीज अंकुरित हो गए,चीर धरा का गात ।
धीरे-धीरे वृक्ष बन,लहराता दिन-रात ।।

प्रत्यक्ष देवता सूर्य तुम बिछा बारह बिसात !
तेज,  प्रकाश भरते सदा दे रश्मि सौगात !! 

अपर्णा " गौरी"  शर्मा 







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6 Comments

Punam verma

22-May-2023 09:07 AM

Very nice

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Abhinav ji

22-May-2023 08:31 AM

Very nice 👍

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Milind salve

22-May-2023 08:09 AM

बहुत खूब

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